" संघर्ष फ़िल्म से "

मुझे रात दिन बस मुझे चाहती हो - २
कहो न कहो मुझको सब कुछ पता है
करू क्या मुझे तुम बताती नहीं हो
छुपाती हो मुझसे यह तुम्हारी खता है
आह मुझे रात दिन बस मुझे चाहती हो

मेरी बेकरारी को हद से बड़ाना
तुमहे खूब आता बातें बनाना
निगाहें मिलाके यूँ मेरा चैन ले लेना
सता के मोहब्बत मे यूँ दर्द देना
मूझे देख के ऐसे पलके झुकाना
शरारत नहीं है तो फिर और क्या है
मुझे रात दिन बस मुझे चाहती हो -

तुम्हे नींद आएगी अब न मेरे बिन
मूझे है यकीं ऐसा आएगा एक दिन
खुली तेरी जुल्फों मे सोया रहूँगा
तेरे ही ख्यालों मे खोया रहूँगा
कभी गौर से मेरी आंखों मे देखो
मेरी जान तुम्हारा ही चेहरा छुपा है

मुझे रात दिन बस मुझे चाहती हो -
कहो कहो मुझको सब कुछ पता है
करू क्या तुम बताती नहीं हो
छुपाती हो मुझसे यह तुम्हारी खता है
मुझे रात दिन बस मुझे चाहती हो

टिप्पणियाँ